Onam 2024: ओणम कब और क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास और महत्व

Onam 2024: ओणम कब और क्यों मनाया जाता है? जानिए इतिहास और महत्व

ओणम, दक्षिण भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक पर्व है, जो विशेष रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल न केवल केरलवासियों के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक खास अवसर होता है। यह त्यौहार केरल के स्थानीय लोगों के बहुत ख़ास है, क्योंकि यह उनके सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को सम्मानित करता है। 

ओणम कब मनाया जाता है? (Onam Celebrate Date)

ओणम का आयोजन पौष मास की पूर्णिमा को किया जाता है जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आता है। इस साल ओणम 2024 की तिथि 17 सितंबर है। यह त्यौहार सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होता है और यह समुदाय को एकजुट करने, खुशी फैलाने, और सांस्कृतिक परंपराओं को संजोने का एक अवसर प्रदान करता है।

ओणम का इतिहास (Onam History)

ओणम का त्यौहार राजा महाबली की कथा से जुड़ा हुआ है, जो कि एक प्राचीन और प्रसिद्ध राजा थे। मान्यता है कि राजा महाबली अपने शासनकाल में अत्यंत न्यायप्रिय और प्रजा के प्रति दयालु थे। उनके शासन में समृद्धि और सुख-शांति का माहौल था। लेकिन देवताओं ने राजा महाबली की लोकप्रियता और उनके द्वारा प्रजा के प्रति किए गए कल्याण को देखकर चिंतित हो गए। वे चाहते थे कि राजा महाबली को स्वर्ग भेजा जाए ताकि उनकी शक्ति और लोकप्रियता को नियंत्रित किया जा सके।

इस उद्देश्य से भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा महाबली से तीन पग जमीन मांगने का अनुरोध किया। राजा महाबली ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। इसके बाद, भगवान विष्णु ने अपनी विशालता का प्रदर्शन करते हुए पूरी पृथ्वी को तीन पग में नाप लिया। इस प्रकार, राजा महाबली को स्वर्ग भेजा गया। हालांकि, राजा महाबली ने भगवान विष्णु से अनुरोध किया कि वह हर साल ओणम के दिन अपनी प्रजा के बीच लौट सकें। इस मान्यता के आधार पर, ओणम का पर्व हर साल राजा महाबली की वापसी की खुशी में मनाया जाता है।

ओणम का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

ओणम केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह ओणम त्यौहार विभिन्न सामाजिक वर्गों और समुदायों को एक साथ लाने का अवसर प्रदान करता है। ओणम के दौरान, सभी लोग एकजुट होकर उत्सव मनाते हैं, जो समाज में भाईचारे और समानता की भावना को बढ़ावा देता है।

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, ओणम के आयोजन के माध्यम से केरल की पारंपरिक कला, नृत्य और संगीत को बढ़ावा मिलता है। यह त्यौहार केरल की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराने में सहायक होता है। ओणम के कार्यक्रमों में शामिल होकर, लोग अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को समझते हैं और उनका सम्मान करते हैं।

राजा महाबली की याद में मनाया जाने वाला यह त्यौहार, सामूहिकता, समृद्धि, और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करता है। ओणम के उत्सव के माध्यम से, हम अपने सांस्कृतिक विरासत को संजोते हैं और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करते हैं। इस प्रकार, ओणम एक सांस्कृतिक आंदोलन है जो हमें एकजुट रहने और अपने रीति-रिवाजों को बनाए रखने की प्रेरणा देता है। 

ओणम के प्रमुख आयोजन और परंपराएँ

1. पोनकल (Onam Pookalam)

ओणम के प्रमुख आयोजनों में ‘पोनकल’ की सजावट महत्वपूर्ण होती है। यह एक सुंदर रंग-बिरंगे फूलों से बनी पुष्प माला होती है, जिसे घर के आंगन या बाहर के स्थान पर सजाया जाता है। इस माला को तैयार करते समय विभिन्न रंगों और फूलों का प्रयोग किया जाता है। पोनकलम के माध्यम से लोग राजा महाबली का स्वागत करते हैं और इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं। इस प्रक्रिया में हर व्यक्ति का योगदान होता है, जिससे यह एक सामूहिक गतिविधि बन जाती है।

2. ओणम साद्या (Onam Sadhya)

ओणम साद्या एक भव्य भोज है जिसमें पारंपरिक केरल व्यंजन शामिल होते हैं। इस भोज में लगभग 20 से 30 अलग-अलग प्रकार के व्यंजन होते हैं, जैसे कि अवियल, किचड़ी, पप्पड़म, और मिठाई। साद्या का आनंद एक विशेष प्रकार की प्लेट पर लिया जाता है और इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। यह भोज ओणम के मुख्य आकर्षणों में से एक है और यह परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।

3. तम्पुरान (Thiruvathira Kali)

‘थिरुवथिरा कली’ एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो विशेष रूप से ओणम के अवसर पर किया जाता है। यह नृत्य विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो एक मंडली में पारंपरिक गीतों के साथ नृत्य करती हैं। थिरुवथिरा कली सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक तरीका है और इसके माध्यम से समुदाय की एकता और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा मिलता है।

4. वल्लमकली (Vallamkali)

ओणम के उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ‘वलेमकली’ या ‘कश्ती रेस’ है। यह एक पारंपरिक कश्ती दौड़ है, जिसमें बड़ी-बड़ी सजावटी कश्तियाँ भाग लेती हैं। यह रेस विशेष रूप से भव्य होती है और इसमें स्थानीय टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा होती है। वल्लमकली के दौरान कश्तियाँ शानदार सजावट से सजी होती हैं और यह रेस देखने के लिए बहुत से दर्शक एकत्र होते हैं। इस रेस के माध्यम से स्थानीय लोगों की सामूहिक भावना और एकता को दर्शाया जाता है।

5. वनिताकली (Onam Rituals)

ओणम के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं। घरों को विशेष रूप से सजाया जाता है और परिवार के सदस्य मिलकर पूजा करते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को ओणम की शुभकामनाएँ देते हैं। इन अनुष्ठानों के माध्यम से लोग अपने परिवार और समुदाय के लिए भलाई की प्रार्थना करते हैं और अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हैं।

ओणम के आयोजन में शामिल विशेष गतिविधियाँ

  • ओणम के दिनों में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। इनमें शामिल हैं:
  • थिरुवथिरा पूजा: विशेष रूप से महिलाओं द्वारा आयोजित धार्मिक पूजा जिसमें विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
  • कंपेटीशन: पारंपरिक खेल-कूद, जैसे कि कुश्ती और कश्ती रेस, जो स्थानीय समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देते हैं।
  • फैशन शो: पारंपरिक कपड़े पहनकर आयोजित किए जाने वाले फैशन शो, जो सांस्कृतिक धरोहर को प्रमोट करते हैं।
  • संगीत और नृत्य: विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, जैसे कि कथकली और मोहिनीअट्टम, जो ओणम के उत्सव को जीवंत बनाती हैं।

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निष्कर्ष:

ओणम 2024, केवल एक त्यौहार नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव है जो हर साल नई ऊर्जा और उमंग के साथ आता है। यह त्यौहार हमें यह सिखाता है कि भौगोलिक सीमाओं और सामाजिक विभाजन के बावजूद, सभी लोग एक साथ मिलकर खुशी और समृद्धि को साझा कर सकते हैं। यह त्यौहार न केवल केरल, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है, जो एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।

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