Krishna Janmashtami 2024 : कृष्ण जन्माष्टमी कब और क्यों मनाया जाता हैं? जानें इसका इतिहास और महत्व

Krishna Janmashtami 2024

जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी भी कहते हैं, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्यौहार है। shri krishna janmashtami के अवसर पर, मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है और भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोग ‘झूला’ सजाते हैं और उसमें भगवान कृष्ण की मूर्ति को बैठाते हैं। झूला झूलाने की परंपरा भी janmashtami का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज के इस ब्लॉग में हम आपको  Shree krishna janmashtami की पूरी जानकारी देंगे 

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाते हैं?

जन्माष्टमी का त्यौहार हर साल श्रावण मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है इस बार krishna janmashtami kab hai वैसे आमतौर पर यह अगस्त या सितंबर में आती है। इस दिन को विशेष रूप से भारत और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? 

कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे श्री कृष्ण जन्माष्टमी भी कहा जाता है, भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाई जाती है। यह त्यौहार विशेष रूप से हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे रक्षाबंधन के कुछ दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भगवान कृष्ण की लीलाओं और शिक्षाओं को याद करना और उनकी उपासना करना है, जो प्रेम, करुणा और धर्म के प्रतीक हैं।

भगवान श्री कृष्ण, जिन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में माना जाता है। उनका जन्म मथुरा के राजा कंस के दरबार में हुआ था। कंस ने भगवान कृष्ण के जन्म के बारे में भविष्यवाणी सुनी थी कि एक दिन उनके दरबार में जन्म लेने वाला बच्चा उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इसलिए, कंस ने सभी नवजात बच्चों को मारने का आदेश दिया था। लेकिन भगवान कृष्ण ने कंस की सभी योजनाओं को विफल कर दिया और अंत में उसे पराजित किया।

shri krishna janmashtami पर भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, और रात को भगवान कृष्ण के जन्म के समय भव्य आरती और भजन कीर्तन करते हैं।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जिसे आमतौर पर “जन्माष्टमी” या “कृष्णाष्टमी” भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। 

जन्माष्टमी का महत्व विभिन्न पहलुओं से है:

धार्मिक महत्व: श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जो विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजे जाते हैं। उनके जन्म की कहानी महाभारत और भागवद गीता में वर्णित है। जन्माष्टमी उनके आगमन को मानती है, जो धरती पर धर्म और सत्य की स्थापना के लिए हुआ था।

आध्यात्मिक महत्व: श्रीकृष्ण के जीवन और शिक्षाएँ गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक मान्यता रखती हैं। भागवद गीता में श्रीकृष्ण ने जीवन, धर्म, और भक्ति के सिद्धांतों को स्पष्ट किया, जो लाखों लोगों के जीवन को मार्गदर्शित करते हैं।

सांस्कृतिक महत्व: जन्माष्टमी का त्यौहार भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़ा हुआ है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, झूला, भजन-कीर्तन और झाँकी (रात्री को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की घटनाओं की मूक नाटिका) का आयोजन किया जाता है।

सामाजिक महत्व: यह त्यौहार समुदाय को एकत्रित करता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। लोग मिलकर त्यौहार मनाते हैं, जो सामूहिक प्रेम, भक्ति और सद्भावना को प्रकट करता है।

आनंद और उल्लास: जन्माष्टमी का त्यौहार विशेष रूप से आनंद और उल्लास का प्रतीक है। लोग अपने घरों को सजाते हैं, मिठाइयाँ बनाते हैं, और कृष्ण जी की पूजा के लिए विशेष आयोजन करते हैं।

इस प्रकार, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ने और मानवीय मूल्यों को प्रमोट करने का एक अवसर है।

जन्माष्टमी कैसे मनाते हैं?

उपवास: इस दिन भक्त आमतौर पर उपवास करते हैं और दिनभर व्रत करते हैं। कुछ लोग केवल फल और दूध का सेवन करते हैं जबकि अन्य पूरी तरह से उपवास रखते हैं।

रात्री जागरण और भजन: जन्माष्टमी की रात भक्त विभिन्न धार्मिक गीतों और भजनों का आयोजन करते हैं। यह उत्सव रातभर चलता है और विशेष रूप से श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबे रहने का प्रयास किया जाता है।

कृष्ण जन्म की पूजा: जन्माष्टमी के दिन मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है। देवता की मूर्ति या चित्र को अच्छे से स्नान कराकर, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। भगवान को झूला झुलाते हैं विभिन्न पकवानों और मिठाइयों का भोग अर्पित किया  जाता है।

डांडिया और रासलीला: कुछ स्थानों पर विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र में इस दिन ‘डांडिया’ और ‘रासलीला’ जैसे पारंपरिक नृत्य और नाटिकाएँ आयोजित की जाती हैं। ये नृत्य भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाते हैं।

बाल कृष्ण की सजावट: घरों और मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण की बाल रूप की सजावट की जाती है। छोटे बच्चे अक्सर कृष्ण के रूप में सजकर ‘माखन चोरी’ जैसे खेल खेलते हैं।

आरती और पूजन: विशेष आरती की जाती है और श्रीकृष्ण की पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस अवसर पर समाज में समृद्धि और शांति की कामना की जाती है।

आयोजन और प्रतियोगिता: विभिन्न स्थानों पर विशेष आयोजनों और प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होता है, जैसे कि ‘दही हांडी’ – जिसमें भगवान श्री कृष्ण की बाल्यावस्था की एक लीलाओं को दर्शाते हुए, एक बर्तन में दही भरकर ऊँचाई पर लटकाया जाता है और विभिन्न समूह उसे तोड़ने की कोशिश करते हैं।

इस त्यौहार का प्रमुख उद्देश्य श्रीकृष्ण के आगमन की खुशी मनाना और उनकी शिक्षाओं को अपनाना होता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी तिथि

Lord Krishna Janmashtami रोहिणी नक्षत्र में ही मनाई जाती है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था 

भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी: 26 अगस्त को सुबह 03:39 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त की सुबह 02:19 बजे (यानी 26 अगस्त की मध्यरात्रि) तक रहेगी 

रोहिणी नक्षत्र: 26 अगस्त को शाम 03:55 बजे से शुरू होगा जो 27 अगस्त शाम 03:38 बजे समाप्त हो जाएगा 

निशिता पूजा: 26 अगस्त की रात 11:59 बजे से रात 12:45 बजे तक (यानी 27 अगस्त को सुबह 00.45 बजे तक) कर सकते हैं 

चंद्रोदय: 26 अगस्त रात 11:34 बजे होगा 

मध्यरात्रि का क्षण: 12:22 बजे 27 अगस्त को (यानी 26 अगस्त रात 12.22 बजे) होगा 

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Conclusion:

जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण की खुशी में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का यह उत्सव विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है, और इसे लेकर एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल बना रहता है। त्यौहार के दौरान बहुत से लोग अपने घरों में झूला सजाते हैं और छोटे-छोटे कृष्ण के स्वरूपों को उन झूलों में रखते हैं। आप भी Krishna Janmashtami 2024 बड़ी धूमधाम से मनाएं 

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