Chhath Puja 2024: जानें, क्यों मनाई जाती है छठ पूजा और क्या है इसका धार्मिक महत्व?

Chhath Puja 2024

Chhath Puja 2024: बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में छठ पर्व का महत्व काफी अधिक है, भारत के इन राज्यों में छठ सिर्फ एक पाव नहीं बल्कि एक महापर्व माना जाता है। यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है जिसकी शुरुआत नहाए खाए से होती है और सूर्य भगवान के उगते और डूबते समय अरग देखकर समाप्त होती है। छठ पर्व 1 साल में दो बार मनाई जाती है, पहले छठ पर्व चैत्र महीने में होती है तो दूसरी बड़ी से कार्तिक महीने में मनाया जाता है।

चौथी शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ कहा जाता है जबकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी कहां जाता है। ऐसे में क्या आपको पता है कि छठ पर्व क्यों मनाई जाती है या छठ पर्व का धार्मिक महत्व क्या है? अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस लेख के द्वारा हम आपको इसी चीज की जानकारी देने वाले हैं। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि छठ पर्व क्यों मनाई जाती है तो नीचे दिए गए लेख को अंत तक पूरा पढ़ें।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? Chhath Puja Kyu Manayi Jati Hai

बिहार एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में छठ पर्व को एक महापर्व माना जाता है इसलिए इसका काफी ज्यादा महत्व है। लोगों द्वारा छठ पूजा मनाने और वस्त्र रखने के अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। लेकिन मुख्य रूप में माना जाए तो छठ पर्व को भगवान सूर्य की आराधना करके उनकी आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।

छठ पर्व के द्वारा सभी भक्त सूर्य भगवान से स्वस्थ रहने का आशीर्वाद लेते हैं, क्योंकि सूर्य भगवान अपने भक्तों को भौतिक सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। इसके अलावा बहुत से भक्ति संतान पाने के लिए भी सूर्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। लोगों द्वारा एक गुणवान संतान पाने की इच्छा से भी छठ व्रत किया जाता है। छठ व्रत करके लोग अपने पूरे परिवार की सुख शांति और वृद्धि मांगते हैं।

छठ पूजा का धार्मिक महत्व क्या है?

Chhath Puja Kya Hai : लोगों द्वारा छठ पूजा के एक नहीं बल्कि कई धार्मिक महत्व बताया गया है, पौराणिक कहानियों के अनुसार छठ पर्व मनाने के कई कारण दिए गए हैं जिसे हमने नीचे बताया है-

सीता माता ने किया था सूर्य देव की पूजा

एक मान्यता के अनुसार जब श्री राम और सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे तब ऋषि मुनियों के आदेश पर श्री राम ने रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला किया था। इस पूजा को करने के लिए मुग्दल ऋषि को बुलाया गया था।

इस यज्ञ में मुग्दल ऋषि ने माता सीता पर गंगाजल चिराग कर उन्हें पवित्र किया था और फिर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य की उपासना करने का आदेश दिया था। इसके बाद माता सीता ने मुरूगन ऋषि के आश्रम में 6 दिन रह कर सूर्य भगवान की पूजा की थी।

इसके बाद सातवीं को सूर्य उदय के समय सूर्य भगवान का फिर से अनुसंधान करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसे में बहुत से लोगों के द्वारा कहा जाता है कि इस घटना के बाद छठ पर्व मनाने का परंपरा शुरू हुआ था।

महाभारत में ही हुई थी छठ पूजा का आरंभ

इसके अलावा बहुत से हिंदू ग्रंथो का यह भी मानना है कि छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल से ही हुआ था। कहां जाता है की सबसे पहले छठ पूजा पर्व को सूर्यपुत्र कर्ण ने किया था। सूर्यपुत्र कर्ण ने भगवान सूर्य की पूजा करके छठ पर्व शुरू किया था, ऐसा माना जाता है कि कारण भगवान सूर्य के परम भक्त थे,

जिसके कारण वह प्रतिदिन घंटे तक पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य को अर्ध देते थे। इसके बाद भगवान सूर्य के ही आशीर्वाद के बाद कारण महान योद्धा बने। इसीलिए आज भी छठ पर्व के पूजा में भगवान सूर्य को अर्ध दिया जाता है, और यह परंपरा सालों से चलती आ रही है।

द्रोपती ने भी किया था छठ व्रत

कुछ गारंथों का यह भी मानना है कि जब पांडवों ने अपना सारा राज पाठ जुए में हार गए तब द्रोपती ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत को करने के बाद द्रोपती की मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया था। लोक परंपरा के अनुसार छठी मैया और सूर्य देव का संबंध एक भाई बहन का है।

इसलिए छठ पर्व के मौके पर सूर्य की आराधना करना फलदाई मानी गई है। इसीलिए छठ पर्व में सूर्य भगवान की आराधना की जाती है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

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छठ पूजा का पौराणिक महत्व का कारण

प्राचीन कथाओं के अनुसार, प्रियव्रत नामक एक राजा के कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने कई प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हुए। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्रयेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। यज्ञ के बाद उनकी रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह बच्चा मृत पैदा हुआ। इस दु:खद खबर से पूरे राज्य में शोक फैल गया।

जब राजा अपने मृत पुत्र को दफनाने की तैयारी कर रहे थे, तभी आसमान से एक चमकता हुआ विमान उतरा। उसमें बैठी देवी ने कहा, “मैं षष्ठी देवी हूं और सभी बच्चों की रक्षा करती हूं।” यह कहकर देवी ने शिशु को छुआ, जिससे वह जीवित हो गया। इस चमत्कार के बाद राजा ने अपने राज्य में षष्ठी देवी की पूजा और इस त्योहार को मनाने की घोषणा कर दी। तभी से यह त्योहार बच्चों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है।

निष्कर्ष (Conclusion) :

भारत ही नहीं बल्कि छठ पूजा का पर्व अब विदेशों में भी भारतीयों के द्वारा किया जाता है क्योंकि अभी भी छठ पूजा को लेकर लोगों में भक्ति और आस्था भरी हुई है। लेकिन क्या आपको पता हैं की क्यों मनाई जाती है छठ पूजा (Chhath Puja) और क्या है इसका धार्मिक महत्व, अगर आप इस जानकारी को नहीं जानते हैं तो ऊपर दिए गए लेख को जरूर पढ़ें। उम्मीद करता हूं कि इस लेख से आपको अच्छी जानकारी मिली होगी, इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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